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रियल्टी और भी मजबूत होकर उभरेगी

Torbit - January 06, 2024 - - 0 |

बादल याग्निकचीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसरकोलियर्स इंडिया।

वर्ष 2023 की शुरूआत हालांकि धीमी रही लेकिन धीरे-धीरे यह रियल एस्टेट सेक्टर के सभी परिसंपत्ति वर्गों में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले वर्षों में से एक बन गया। एक मजबूत नींव का निर्माण करते हुए संभवतया 2024 नई प्रगति का वर्ष होगा जहां निश्चित रूप से रियल एस्टेट मजबूती से पुनर्गठित होकर नए आकार को प्राप्त करेगा।

ऑफिस आउटलुक: स्थिरता एवं एकत्रिकरण की ओर

भारत के ऑफिस रियल एस्टेट मार्केट के संदर्भ में यदि 2023 शुरुआती उथल-पुथल पर सफलतापूर्वक काबू पाने का वर्ष रहा है तो 2024 में खास तौर पर ऑफिस मार्केट के संघटित होने की संभावना है। ऑफिस मार्केट को पिछले वर्ष ही मजबूत नींव का सहारा मिलने के बाद 2024 में और भी स्थिरता मिलने की उम्मीद है। साथ ही, जहां एक तरफ ग्राहकों की ज़रूरतें परिवर्तित होती रहेगी वहीं उसी अनुसार बाज़ार की पेशकशें भी लगातार ख़ुद को पुनर्व्यवस्थित करेंगी। भारतीय अर्थव्यवस्था में मजबूत विकास की संभावनाएं और स्वस्थ घरेलू परिदृश्य ग्राहकों के साथ-साथ डेवलपर्स का भी विश्वास बरकरार रखेगा। किराये की संपत्तियों की मांग आपूर्ति के साथ संतुलित है और इस वजह से रिक्ति का स्तर स्थिर है जिस से किराये की कीमतों में वृद्धि होगी।

पोर्टफोलियो विविधीकरण– “कोर + फ्लेक्स” रणनीति – साझा कार्यस्थलों द्वारा प्रदान किए जाने वाले लचीलेपन और स्केलेबिलिटी के लाभों को ध्यान में रखते हुए, “कोर + फ्लेक्स” मॉडल को ग्राहकों द्वारा पसंद किया जाना जारी रहेगा। इसके अलावा, इंट्रा और इंटरसिटी “हब एंड स्पोक” मॉडल को लगातार अपनाने से, अपने रियल एस्टेट पोर्टफोलियो में फ्लेक्स स्पेस को शामिल करने वाले ग्राहकों की प्रवृत्ति में वृद्धि होगी। डेवलपर्स और ऑपरेटर भी अपनी फ्लेक्स पेशकशें बढ़ाएंगे, जिससे ग्रेड ए ऑफिस स्टॉक में फ्लेक्स की हिस्सेदारी जो महामारी से पहले 5% से भी कम थी, 10% के करीब हो जाएगी।

माध्यमिकपेरिफेरल और टियरII/III बाजार बढ़ेंगे – ‘हब और स्पोक’ मॉडल को अधिक से अधिक अपनाये जाने और किराये की मध्यस्थता के चलन में आने के साथ, प्रमुख शहरों में माध्यमिक और पेरिफेरल (परिधीय) व्यावसायिक जिलों के ऑफिस मार्केट के हॉटस्पॉट बने रहने की संभावना है।

ग्राहक कैंद्रीय व्यावसायिक जिले (सीबीडी) में अपना मुख्य कार्यालय स्थापित करने पर जोर देंगे और साथ ही द्वितीय (सेकेंड्री) और परिधीय बाजारों में सैटेलाइट (उपग्रह) कार्यालयों की तलाश करेंगे। कनेक्टिविटी में सुधार, उन्नत सामाजिक और भौतिक बुनियादी ढांचे और आवासीय क्षेत्रों से निकटता परिधीय माइक्रो मार्केट्स को पारंपरिक और साझा कार्यस्थलों दोनों के लिए विशेष रूप से अनुकूल बनाएगी। इसके साथ ही, चुनिंदा टियर II शहर प्रतिभा की उपलब्धता, हाइब्रिड कार्य संस्कृति के बढ़ने, बुनियादी ढांचे में वृद्धि और ग्रेड ए कार्यालय आपूर्ति में सुधार के कारण बढ़ी हुई कार्यालय गतिविधि के लिए तैयार होंगे।

प्रौद्योगिकी और जीसीसी की मांग वापस लौटेगी– वैश्विक आर्थिक प्रतिकूलताओं के घटते प्रभाव की उम्मीदों के साथ, वैश्विक क्षमता केंद्र (जीसीसी) भारत में रियल एस्टेट प्रसार फिर से शुरू करेगी। अपने प्रतिभा पूल, अपेक्षाकृत कम कार्यालय किराये और सहायक कानूनी ढांचे के कारण, भारत अपने क्षमता केंद्र स्थापित करने के इच्छुक वैश्विक कंपनियों के लिए एक पसंदीदा स्थान बना रहेगा। अग्रणी अंतर्राष्ट्रीय तकनीकी कंपनियां भी देश के प्रमुख कार्यालय बाजारों में जगह बढ़ाने में तेजी लाएंगी। इस बीच,  इंजीनियरिंग और विनिर्माण, बीएफएसआई, कंसल्टिंग, हेल्थकेयर, एडुटेक और ई-कॉमर्स आदि क्षेत्रों के घरेलू ग्राहक लीजिंग परिदृश्य में विविधता लाना जारी रखेंगे।

एसईजेड में किरायेदारों की गतिविधि में वृद्धि देखने को मिलेगी– एसईजेड नियमों में हाल के संशोधनों, जिनसे फ्लोर-वार डिनोटिफिकेशन की अनुमति मिली है, के द्वारा एसईजेड में लीजिंग को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, जिससे अधिग्रहण स्तर में और सुधार होगा। इस संशोधन से न केवल कंपनियों के कार्यालय स्थानों के विस्तार की सुविधा मिलेगी, बल्कि गैर-एसईजेड संस्थाओं को एसईजेड क्षेत्रों का लाभ भी मिलेगा। नए नियम निर्यात और घरेलू दोनों व्यवसायों के किरायेदारो को अनुमति देकर एसईजेड किरायेदार आधार में विविधता लाएंगे। इस प्रकार कुल मिलाकर एसईजेड रिक्ति स्तर अगले कुछ वर्षों में मौजूदा 20% के स्तर से घटकर 10-15% हो जाने की संभावना है।

स्थिरता (सस्टेनेबिलिटी) को मिलेगी प्राथमिकता– भारतीय वाणिज्यिक रियल एस्टेट में स्थिरता (सस्टेनेबिलिटी) महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। आगामी आपूर्ति का एक बड़ा हिस्सा संचालन के पहले दिन से ही हरित (ग्रीन) प्रमाणित (सर्टिफाइड) हो जाएगा – यह एक तरह से हरित-पट्टों सहित टिकाऊ तत्वों के प्रति किरायेदारों की बढ़ती प्राथमिकता को दर्शाता है। डेवलपर्स को भी अधिभोग स्तर और हरित प्रमाणित विकास द्वारा किराये में बढ़ोतरी से लाभ होने की संभावना है। पुरानी संपत्तियों की रेट्रोफिटिंग और मौजूदा विकास के ई-अपग्रेड में तेजी आएगी और साथ ही कार्बन पदचिह्न कम होगा और भारत में कार्यालय पारिस्थितिकी तंत्र की ऊर्जा दक्षता में सुधार होगा। दिलचस्प बात यह है कि ईएसजी जांच पड़ताल (ड्यू डिलिजेंस) और मूल्यांकन कार्यालय बाजार में तेजी से एक आदर्श के रूप में अपनाया जाएगा।

आवासीय आउटलुक: मॉडरेशन के बीच प्रीमियम हाउसिंग में वृद्धि– हालाँकि आवासीय रियल एस्टेट की वृद्धि2024 में भी जारी रहने की संभावना है, हम आधार प्रभाव को लागू होते देख सकते हैं और इस वजह से बिक्री, लॉन्च और कीमतों में वृद्धि मध्यम रहेगी। पर्याप्त इन्वेंट्री और कब्जे के लिए तैयार संपत्ति की आपूर्ति में बढ़ोत्तरी के साथ, आवासीय बाजार घर खरीदारों और डेवलपर्स के बीच समान रूप से संतुलित रहेंगे। परियोजनाओं को समय पर पूरा करने के ट्रैक रिकॉर्ड वाले डेवलपर्स की परियोजनाओं की बाजार में भरपूर मांग बनी रहेगी।

प्रौद्योगिकी का ज्यादा-से-ज्यादा उपयोग-घर खरीदने के अनुभव में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशीयल इंटेलिजेंस), मशीन लर्निंग और क्लाउड कंप्यूटिंग जैसी प्रौद्योगिकी का अधिकतम प्रयोग होगा। सभी आयु-समूहों के ज्यादा-से-ज्यादा घर खरीदार स्मार्ट होम, वर्चुअल टूर और डिजिटल लेनदेन पसंद करेंगे। आशा है कि विकसित होती निर्माण प्रौद्योगिकियों और पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं से जल्द ही टिकाऊ (सस्टेनेबल) आवास को और विश्वसनीयता मिलेगी। प्रतिष्ठित डेवलपर्स के प्रीमियम घरों में प्रौद्योगिकी को वैयक्तिकृत सेवाएं प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की संभावना है। एआई और चैटबॉट्स जैसी उन्नत तकनीकों का उपयोग   बयोमेट्रिक प्रमाणीकरण, उच्च सुरक्षा जैसी सेवाओं के लिए किया जाएगा और इस प्रकार ग्राहकों को एक उच्चस्तरीय जीवन अनुभव प्रदान किया जाएगा।

प्रीमियम आवास में वृद्धि– द्वीतीय घरों, अवकाश गृहों और विकसित किए गए प्लॉट्स की मांग 2024 में बने रहने की संभावना है। हाई-एंड सेगमेंट में परिकल्पित गति को देखते हुए, होटल और लग्जरी सेगमेंट में संबंधित विशेषज्ञता वाली कंपनियों के टियर 1 शहरों के प्रीमियम आवासीय बाजार में तेजी से प्रवेश करने की उम्मीद है। किफायती और मध्य खंड के आवासों की बिक्री में भी वृद्धि जारी रहेगी। साथ ही, 2024 तक समग्र आवासीय बाजार की बिक्री में लग्जरी आवास की हिस्सेदारी में उल्लेखनीय वृद्धि होने की संभावना है।

बुनियादी ढांचे के विकास पर निर्भर करेगा घर खरीदने का आकर्षण: नए हवाई अड्डों, मेट्रो मार्गों और मुख्य सड़कों के साथ, अधिकांश प्रमुख भारतीय शहरों में बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे का विकास हो रहा है। आवासीय गतिविधि के लिए आगामी बुनियादी ढांचे का नया स्वरूप उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेगा। परियोजनाओं के विकास गलियारों के साथ ही उनके प्रभाव क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण मूल्य वृद्धि देखी जाएगी, जो निवेशकों और अंतिम उपयोगकर्ताओं को समान रूप से आकर्षित करेगी। 2024 में पूरी होने वाली बुनियादी ढांचा परियोजनाएं, परिधीय, केंद्रीय और उपनगरीय क्षेत्रों के साथ एकीकृत हो जाएंगे, जिसके परिणामस्वरूप संबंधित शहरों के प्रमुख आवासीय क्षेत्रों में गतिविधियों का एकरूपीकरण हो जाएगा।

नई सीमाओं को छूने को तैयार – अप्रयुक्त क्षमता और टियर II और III बाजारों के गेटेड समुदायों में व्यापक पेशकशों के लिए बढ़ी हुई प्राथमिकता के कारण, संगठित आवासीय रियल एस्टेट वडोदरा, नासिक, लखनऊ, जयपुर, चंडीगढ़, कोयंबटूर, मैसूर, कोच्चि, इंदौर, भुवनेश्वर, गुवाहाटी आदि जैसे बाजारों में विकास के अगले चरण को प्राप्त करने के लिए तैयार है। निवेशक तेजी से इन शहरों में आवासीय निवेश की तलाश करेंगे, जिनमें टियर-I शहरों की तुलना में अधिक संभावनाएं है। डेवलपर्स ऐसे उभरते बाजारों और मेट्रो शहरों के परिधीय स्थलों में भी संभावित रूप से गुणवत्ता पूर्ण आपूर्ति बढ़ाएंगे।

को-लिविंग और घरों के किराये होंगे स्थिर– गौरतलब है कि महामारी ने दूरस्थ-कार्य और अध्ययन के युग की शुरुआत की है और इस प्रकार बड़े शहरों से छोटे शहरों की ओर रिवर्स माइग्रेशन हुआ। हालाँकि, 2023तक, भौतिक उपस्थिति के संबंध में सामान्य स्थिति लगभग पूरी तरह से हासिल कर ली गई है। अधिकांश संगठनों ने भी कार्यालयों में कम से कम 2-3 दिन/सप्ताह की भौतिक उपस्थिति अनिवार्य कर दी है। बड़े शहरों में वापस प्रवास के प्रभावी ढंग से पूरा होने के साथ ही 2024 में किराये के मूल्यों में युक्तिसंगत वृद्धि होने की संभावना है। वर्ष 2022 और 2023 में कुछ माईक्रो मार्केट्स में किराये के मूल्यों में सालाना 30-40% की वृद्धि देखी गई। को-लिविंग संपत्तियों में मासिक शुल्क सहित आवास किराये में इतनी भारी वृद्धि 2024 में तर्कसंगत स्तर तक लौटने की उम्मीद है। बेंगलुरु, हैदराबाद और पुणे जैसे तकनीकी केंद्रों में यह नरमी अधिक प्रमुखता से होगी।

औद्योगिक एवं भण्डारण: स्थिरता एवं प्रौद्योगिकी को बढ़ावा – 2024 में उज्ज्वल संभावनाएं जारी रहेंगी, जो औद्योगिक और भंडारण क्षेत्र के लिए त्वरित विकास उत्प्रेरक के रूप में काम करेंगी। भारत सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है और यहां इन क्षेत्रों में रियल एस्टेट की मांग की अपार संभावनाएं हैं। बढ़ते पूंजी निवेश, विनिर्माण उत्पादन और सहायक सरकारी नीतियों के समर्थन से, भारत में औद्योगिक और भंडारण (वेयरहाउसिंग) क्षेत्र के मजबूती से बढ़ने की उम्मीद है। इसके अलावा, प्रौद्योगिकी संबंधी पहलू अब और अधिक व्यापक होने जा रहे हैं। आगे बढ़ते हुए, एआई और आईओटी सक्षम निगरानी और स्मार्ट और स्वचालित गोदामों का प्रसार औद्योगिक और भंडारण क्षेत्र को फिर से परिभाषित करेगा।

सरकारी नीतियों के बल पर बढ़ेगी मांग: मेक इन इंडिया, गति शक्ति, मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क (एमएमएलपी), परफॉर्मेंस लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना आदि जैसे चल रहे मौजूदा सरकारी कार्यक्रमों और परियोजनाओं का लगातार कार्यान्वयन देश में औद्योगिक और भंडारण पारिस्थितिकी तंत्र को प्रोत्साहित करेगा। सागरमाला परियोजना और औद्योगिक गलियारों सहित प्रमुख परियोजनाएं औद्योगिक क्षेत्र की विकास गाथा में प्रमुख सक्षम कारक साबित होंगी और देश के टियर I और II शहरों में भंडारण स्थानों की बढ़ती मांग में तब्दील होंगी।

क्यू-कॉमर्स सूक्ष्म-गोदामों की मांग को बढ़ावा देगा- त्वरित डिलीवरी की बढ़ती मांग के साथ क्यू-कॉमर्स में और तेजी आएगी, जिससे सूक्ष्म-गोदामों (माइक्रो-वेयरहाउसेज) और शहर में स्थित गोदामों की मांग बढ़ेगी। सूक्ष्म गोदामों की संख्या में वृद्धि से बड़े पैमाने पर परिचालन को बढ़ावा मिलेगा, जिसके परिणामस्वरूप हब गोदामों की मांग में भी वृद्धि होगी।

ईवी से नई मांग बढ़ने की संभावना- ईवी उद्योग में तेज वृद्धि और बदले में बैटरी निर्माण की जरूरत से गीगा कारखाने स्थापित करने के लिए भूमि की महत्वपूर्ण मांग पैदा होने की संभावना है। ईवी से संबंधित कर प्रोत्साहन और साथ ही बैटरी विनिर्माण के लिए प्रदान किए गए अन्य  प्रोत्साहनों से इस क्षेत्र में उत्पादन के साथ-साथ रियल एस्टेट की मांग को भी बढ़ावा मिलेगा।

समेकन की संभावना- प्रमुख घरेलू रियल एस्टेट कंपनियों और वैश्विक निवेशकों के औद्योगिक और वेयरहाउसिंग (भंडारण) क्षेत्र में महत्वपूर्ण विस्तार की तलाश के साथ, इस क्षेत्र में समेकन (एकत्रीकरण) में वृद्धि देखने की संभावना है। इससे इस क्षेत्र में संस्थागतकरण बढ़ने और उन्नत प्रौद्योगिकियों और परिचालन दक्षताओं के संबंध में वैश्विक और स्थानीय विशेषज्ञता का संयोजन होने की संभावना है। इस क्षेत्र का संस्थागतकरण भविष्य में संभावित वेयरहाउसिंग रीट्स (रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट) के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा।

हरित भंडारण की बढ़ती मांग- अगले कुछ वर्षों में, टिकाऊ (सस्टेनेबल) और हरित (ग्रीन) प्रमाणित भंडारण स्थानों (वेयरहाउस) और ऊर्जा कुशल प्रणालियों, अनुकूली जलवायु नियंत्रण समाधान और कुशल लेआउट वाले लॉजिस्टिक पार्कों की मांग प्राथमिकता से बढ़ेंगी। इसके अलावा, यह भी संभावित है कि निवेश का विचार करते हुए निवेशक परियोजना की सस्टेनेबलिटी को सख्ती से परखेंगे।

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