बढ़ती आवास खरीदने की सामर्थ्यता, बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने और अनुकूल निवेश नीतियों के साथ भारत रियल एस्टेट में विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों में निवेश के लिए एक अनुकूल गंतव्य के रूप में कुछ इस तरह उभर रहा है कि रियल एस्टेट निवेश का पूरा लाभ उठाने का इससे बेहतर समय पहले कभी नहीं था। .
जब उन प्रमुख फायदों की बात आती है जो निवेश की भावना को प्रभावित कर रहे हैं, तो बेहतरीन चुनी हुई संपत्तियों के साथ निवेशक अनुमानित नकदी प्रवाह, उत्कृष्ट रिटर्न, कर लाभ और विविधीकरण का फायदा भी उठा सकते हैं। रियल एस्टेट निवेशक किराये की आय, मूल्य वृद्धि और संपत्ति पर निर्भर व्यावसायिक गतिविधियों से उत्पन्न मुनाफे के माध्यम से आमदनी प्राप्त करते हैं। कुल मिलाकर भूमि में निवेश द्वारा पिछले कुछ वर्षों की तुलना में आज बेहतर प्रतिफल प्राप्त होने की दर बहुत अधिक है।
धन सृजन और विविधता लाने का अवसर ऐसे अन्य कारण हैं जो निवेशकों की रुचि बढ़ा रहे हैं क्योंकि भूमि में निवेश करने से उस निवेश के मुद्रीकरण की कई व्यापक संभावनाएं होती हैं। जैसे कि निवेशक लंबी अवधि के लिए जमीन अपने पास रख सकता है या पट्टे पर देने के लिए उस पर एक संरचना भी बना सकता है। इतना ही नहीं वह उस स्थान पर होलिडे प्रॉपर्टी का निर्माण करके वहां से आय भी कमा सकता है।
निवेश के प्रमुख प्रारूपों में रिटर्न
रियल एस्टेट लगभग 8% वार्षिक रिटर्न देता है, जो बैंक में सावधि जमा (फिक्स्ड डिपॉजिट) पर 6% रिटर्न से अधिक है। हालाँकि सोना और इक्विटी/म्यूचुअल फंड भी क्रमशः 13% और 10% रिटर्न देते हैं, रियल एस्टेट शानदार रिटर्न और प्रॉपर्टी के मूल्य वृद्धि के रूप में दोहरा लाभ प्रदान करता है।
रियल्टी निवेश के लिए बुनियादी ढांचे को बढ़ावा
यद्यपि एक क्षेत्र के रूप में रियल एस्टेट विभिन्न आंतरिक और बाहरी कारकों पर निर्भर करता है, बुनियादी ढांचे और नागरिक सुविधाओं का विकास शहर के विकास में मदद करने के साथ ही रियल एस्टेट पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है। रोजगार, क्षेत्रीय कनेक्टिविटी, स्वास्थ्य और शैक्षिक सुविधाओं तक पहुंच, सुरक्षा, पर्यावरणीय स्थिरता और सामाजिक-राजनीतिक स्थिरता के साथ ही सुशासन जैसे कई कारक निवेश के लिए प्रमुख विकास संचालक हैं।
भूमि में निवेश
भूमि में निवेश करने और इसे किराये के रूप में मुद्रीकृत करने से इस निवेश पर किसी तैयार अपार्टमेंट की तुलना में 10 गुना अधिक रिटर्न प्राप्त होता है। प्राकृतिक स्थान पर या प्रमुख पर्यटन स्थलों पर भूमि में निवेश की मांग में वृद्धि हुई है। साथ ही, महामारी के दौरान लॉकडाउन और यात्रा प्रतिबंधों के दौरान शांत स्थानों में निवेश की अवधारणा को भी महत्वपूर्ण गति मिली है और अब इसका ग्राफ ऊपर की ओर जा रहा है। भूमि निवेश के प्रमुख मापदंडों में, निवेशकों के लिए लोकेशन सबसे महत्वपूर्ण कारक है। लगभग 70-80% निवेशक अपने सप्ताहांत अवकाश के लिए केवल 2-4 घंटे की यात्रा करना चाहते हैं वहीं लगभग 50% निवेशक यह चाaहते हैं कि उनका निवेश जल निकायों और हिल स्टेशनों जैसे प्राकृतिक स्थानों के पास हो। आधे से अधिक निवेशक बेहतर किराया पाने के लिए वहां सप्ताहांत अवकाश घर बनाना और उन संपत्तियों को किराए पर देना पसंद करते हैं।
इन सबके बावजूद भूमि में निवेश प्रॉपर्टी बाजार के कुछ गलियारों में अभी भी विकास के शुरुआती चरण में है, जबकि पर्यटन स्थलों और मेट्रो शहरों के नजदीक के स्थानों में निवेश में वृद्धि के साथ निवेश कई गुना बढ़ गए हैं। इसलिए, आने वाले समय में भारत में सेकेंड होम्स या सप्ताहांत घरों की वृद्धि दर राज्यों में नियोजित और निर्माणाधीन व्यापक बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के कारण कई गुना बढ़ने की उम्मीद है।
किसी भी निवेश पर विचार करते समय बेहतर बुनियादी ढांचे, सामर्थ्य, उच्च किराया प्राप्त करने की संभावना, पूंजी में वृद्धि की गुंजाइश, पर्यटक आकर्षण, शहर के केंद्र से निकटता प्रमुख पैरामीटर हैं। रिमोट वर्क (दूरस्थ कार्य) एवं फ्लैक्सिबल वर्क ऑपशन्स (लचीले कार्य विकल्पों) की बढ़ती लोकप्रियता आदि कारकों ने भारत में पर्यटन स्थलों को निवेशकों के लिए अधिक आकर्षक बनाने में योगदान दिया है। कुल मिलाकर, महाराष्ट्र में नेरल-माथेरान और गुजरात में साणंद नल सरोवर अपने कम पूंजी निवेश के साथ-साथ मूल्य वृद्धि और उच्च किराये प्रदान करने की संभावना के कारण ज्यादा रिटर्न चाहने वाले रियल एस्टेट निवेशकों के लिए आकर्षक बन चुके हैं। हालाँकि किसी भी सलाह पर अमल करने से पहले निवेशकों को किसी विशिष्ट क्षेत्र में निवेश करने से पहले वहां के जोखिमों और अवसरों का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करना चाहिए।
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